छत की खामोशी दीवारों का मौन एकाध ठहाके से तरंगित खुलती खिड़कियां और दरवाजे की कुंडी में अटकी चिर परिचित मुस्कान विवश करती परिस्थितियां खुद से निकलकर खुद को ढूंढने की, मीलों पांव पैदल चलती भोर सपाट सीधी सड़कें कुछ अनायास करवटें बदलते घुमावदार इठलाते मोड़ और दो तरफा बिछी गुलमोहर की छांव में सुकून की सांस लेती ज़िन्दगी.. लाल सुर्ख ... नारंगी... कुछ हल्के पीले खिलखिलाते अहसास उष्मा उर्जा की अनुभूति। उदासियां अवसाद सोखकर मुस्कुराते प्रतिपल जीवंत क्लेश कलुष राग द्वेष की परिसीमा से विलग न अतीत के सूनेपन का दंश न भविष्य के विछोह का वियोग वर्तमान की अनंत सीमा में प्रफुल्लित आशान्वित मन के तार तार में बसा गुलमोहर जीवन संघर्षों के प्रमाणिकता के दस्तख़त... Preeti. #गुलमोहर #ankahi #चिंतन #yqhindi #yqhindiquotes #nopowrimo18