स्याही का रंग जरा जाना सा लगता है, वो लिखते है कि लहू जलाते है, इतना दर्द तो ज़ख्म भी नहीं देता, कलम चलाते है कि नश्तर चलाते है..! उनकी कलम में है वो दर्द जाना सा, मरहम लगाते है कि घाव दुखाते है..!