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खट्टा मीठा प्यार।। बीवी के डर से.. तेरी ओढ़नी, अब

खट्टा मीठा प्यार।।

बीवी के डर से..
तेरी ओढ़नी, अब कफ़न सी लगती है।
तेरी मोहब्बत, अब घुटन सी लगती है।
जब भी आते हैं मेसेजेज तेरे, फोन पे,
देखूं न देखूं, एक उलझन सी लगती है।

दिल की आवाज़...
जो ना पढूं तुझे, एक अगन सी लगती है।
अभी भी तू जैसे एक दुल्हन सी लगती है।
तुम बिन जीना यूँ लगे अब जीना तो नहीं,
जो न मिट सके, तू वो लगन सी लगती है।

बीवी से, पकड़े जाने पर..
है ये कौन, तुम्हारी ही बहन सी लगती है।
बस तेरी ही आंख मृगनयन सी लगती है।
मैं तो हूँ बस तेरा, खाऊं कसम किसकी,
मैं तो हूँ फूल, तुम तो चमन सी लगती है।

हर दांव फ़ेल होने पर...
बीवी, बीवी नहीं दुष्टदलन सी लगती है।
ज़िन्दगी तो बस चीरहरण सी लगती है।
दो नावों पे न रखना कभी तुम पांव यारों,
हड्डी हवन में स्वाहा चन्दन सी लगती है।

©रजनीश "स्वछंद" खट्टा मीठा प्यार।।

बीवी के डर से..
तेरी ओढ़नी, अब कफ़न सी लगती है।
तेरी मोहब्बत, अब घुटन सी लगती है।
जब भी आते हैं मेसेजेज तेरे, फोन पे,
देखूं न देखूं, एक उलझन सी लगती है।
खट्टा मीठा प्यार।।

बीवी के डर से..
तेरी ओढ़नी, अब कफ़न सी लगती है।
तेरी मोहब्बत, अब घुटन सी लगती है।
जब भी आते हैं मेसेजेज तेरे, फोन पे,
देखूं न देखूं, एक उलझन सी लगती है।

दिल की आवाज़...
जो ना पढूं तुझे, एक अगन सी लगती है।
अभी भी तू जैसे एक दुल्हन सी लगती है।
तुम बिन जीना यूँ लगे अब जीना तो नहीं,
जो न मिट सके, तू वो लगन सी लगती है।

बीवी से, पकड़े जाने पर..
है ये कौन, तुम्हारी ही बहन सी लगती है।
बस तेरी ही आंख मृगनयन सी लगती है।
मैं तो हूँ बस तेरा, खाऊं कसम किसकी,
मैं तो हूँ फूल, तुम तो चमन सी लगती है।

हर दांव फ़ेल होने पर...
बीवी, बीवी नहीं दुष्टदलन सी लगती है।
ज़िन्दगी तो बस चीरहरण सी लगती है।
दो नावों पे न रखना कभी तुम पांव यारों,
हड्डी हवन में स्वाहा चन्दन सी लगती है।

©रजनीश "स्वछंद" खट्टा मीठा प्यार।।

बीवी के डर से..
तेरी ओढ़नी, अब कफ़न सी लगती है।
तेरी मोहब्बत, अब घुटन सी लगती है।
जब भी आते हैं मेसेजेज तेरे, फोन पे,
देखूं न देखूं, एक उलझन सी लगती है।

खट्टा मीठा प्यार।। बीवी के डर से.. तेरी ओढ़नी, अब कफ़न सी लगती है। तेरी मोहब्बत, अब घुटन सी लगती है। जब भी आते हैं मेसेजेज तेरे, फोन पे, देखूं न देखूं, एक उलझन सी लगती है। #Poetry #kavita #hindipoetry