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मन है मौन रहना नहीं जनता, कहता है ये किस्से सभी के

मन है मौन रहना नहीं जनता,
कहता है ये किस्से सभी के,
खुद के बनाए जाल से,
निकल नही आता,
मन है मौन रहना नही जानता।

सफर है मुसाफिर कई भाते,
एक से मिलके दूजे में खो जाते,
मन तो सौ बहाने बताता,
भीतर में सिमट, बाहर में उलझ, 
खयाल है बुने, ख्वाब अधूरा रह जाता,
 मन है मौन रहना नही जानता।

©Vishal Pandey
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