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अपने सपने को पाने की ,ख़ुद को उठाने की कोशिश कर र

अपने सपने को पाने की  ,ख़ुद को उठाने की कोशिश कर रहा हूं
थोड़ा परेशान हूं फ़िर भी मुस्कुराने की कोशिश कर रहा हूं
हर कोई खफा लग रहा है ,रूठा हुआ खुदा लग रहा है
आंसिया से बिछड़े परिंदे सा अब फलसफा लग रहा है
नम आंखे ही सही मंजिल को पाने की कोशिश कर रहा हूं
थोड़ा परेशान हूं फिर भी मुस्कुराने की कोशिश कर रहा हूं
माना कि कुछ क्षण रुला देते है ,क़दमों को मेरे डिगा देते है
बेबस है खुद बेबसी भी यहां हम भी उन्हें ये बता देते है
कभी खुद से तो कभी अपने सपने से लड़ रहा हूं
थोड़ा परेशान हूं फ़िर भी मुस्कुराने की कोशिश कर रहा हूं
बैठकर कभी जब कुछ सोचता हूं,लगता है जैसे खुद को रोकता है
सिकंदर है ती तुझको बढ़ना है आगे दिल। को मै अक्सर यूहीं टोकता हूं
उलझते सुलझते फिर गिरते संभलते बढ़ रहा हूं
थोड़ा परेशान हूं फिर भी मुस्कुराने  कोशिश कर रहा हूं
पार एक दिन गमो से मै आ जाऊंगा ,मजिल को अपने बता जाऊंगा
मुश्किल है तू पर मुमकिन भी है राह - ए - मसूरी दिखा जाऊंगा
हारा नहीं वक़्त से मै अभी आहिस्ता आहिस्ता बदल रहा हूं
थोड़ा परेशान हूं फिर भी मुस्कुराने की कोशिश कर रहा है हौसला # विनय शुक्ला
अपने सपने को पाने की  ,ख़ुद को उठाने की कोशिश कर रहा हूं
थोड़ा परेशान हूं फ़िर भी मुस्कुराने की कोशिश कर रहा हूं
हर कोई खफा लग रहा है ,रूठा हुआ खुदा लग रहा है
आंसिया से बिछड़े परिंदे सा अब फलसफा लग रहा है
नम आंखे ही सही मंजिल को पाने की कोशिश कर रहा हूं
थोड़ा परेशान हूं फिर भी मुस्कुराने की कोशिश कर रहा हूं
माना कि कुछ क्षण रुला देते है ,क़दमों को मेरे डिगा देते है
बेबस है खुद बेबसी भी यहां हम भी उन्हें ये बता देते है
कभी खुद से तो कभी अपने सपने से लड़ रहा हूं
थोड़ा परेशान हूं फ़िर भी मुस्कुराने की कोशिश कर रहा हूं
बैठकर कभी जब कुछ सोचता हूं,लगता है जैसे खुद को रोकता है
सिकंदर है ती तुझको बढ़ना है आगे दिल। को मै अक्सर यूहीं टोकता हूं
उलझते सुलझते फिर गिरते संभलते बढ़ रहा हूं
थोड़ा परेशान हूं फिर भी मुस्कुराने  कोशिश कर रहा हूं
पार एक दिन गमो से मै आ जाऊंगा ,मजिल को अपने बता जाऊंगा
मुश्किल है तू पर मुमकिन भी है राह - ए - मसूरी दिखा जाऊंगा
हारा नहीं वक़्त से मै अभी आहिस्ता आहिस्ता बदल रहा हूं
थोड़ा परेशान हूं फिर भी मुस्कुराने की कोशिश कर रहा है हौसला # विनय शुक्ला