सहमा हुआ है हौसला सहमी सी है फिजा उठता धुँआ है हर जगह जाये कोई कहाँ हालात ये बने हैं क्यों सहमा सा है जहाँ है ठोकरें हीं राहों में जाये कोई कहाँ। -विकास कुमार sahma_sa_hausla