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vikashkumarsingh6794
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Vikash Kumar Singh

लिख लेता हूँ थोड़ा बहुत

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Vikash Kumar Singh

बूढ़े अरमानों ने अपनी जवानी मांग लिया
ज़िंदा ख़्वाबों की निशानी मांग लिया
हमने अपनी आंखों से दरिया बहा दी
जब प्यासे समुंदर ने मुझ से पानी मांग लिया।

©Vikash Kumar Singh #seashore
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Vikash Kumar Singh

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Vikash Kumar Singh

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Vikash Kumar Singh

वो चैन से सो रहे हैं शहर बेचकर
कोई सुहाग बचा रहा है जेवर बेचकर
बाप ने उमर गुजार दी घरोंदे बनाने में
बेटा उसकी सांसे खरीद रहा है घर बेचकर
बर्बाद हो गये कई घर दवा खरीदने में
कुछ लोगों की तिज़ोरी  भर गई जहर बेचकर।

©Vikash Kumar Singh #COVIDVaccine
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Vikash Kumar Singh

हमने तमन्नाओं के शहर में भटकना छोड़ दिया है
तेरी आरजू में जितनी रातें काटनी थी, काट लिए
अपनी खुशियां लूटा के तेरा गम चुराया करते थे
ये दौलत अपने हिस्से से जितनी बाटनी थी, बाट लिए।

©Vikash Kumar Singh #Drops
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Vikash Kumar Singh

चलना है संग तेरे, सम्हलना भी,  गिरना भी
हमे आता है वादा करना भी, वादे पे मरना भी
जीवन नैया भंवर में हिचकोले खा रही है
एक तेरे भरोसे है, मेरा डूबना भी, उतरना भी।
            - विकास कुमार

©Vikash Kumar Singh #zindagikerang
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Vikash Kumar Singh

एक सुनी गली है मेरी ज़िन्दगी  
जहां तेरी यादें बसर करती है
ये वो जुगनू है, जो मेरे अंधेरे को सहर करती है
तेरे हाथों में है मेरा खिलना भी मुरझाना भी
तू  जून कि धूप है, तेरी गरमी  असर करती है।

©Vikash Kumar Singh #welove
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Vikash Kumar Singh

हर शब्द हर अक्षर में ढूंढा तुम्हे
तू किताब के किसी किस्से में न मिला
तुझे कैसे पढ़ पाता बता मुझको
तू सिलेबस के किसी हिस्से मे  न मिला।

©Vikash Kumar Singh #dryleaf
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Vikash Kumar Singh

मैंने भी नही निभाई रश्म - ए- मोहब्बत
वो भी बेवफ़ा नहीं था
उसको इल्ज़ाम क्यों दूं , वो भी ग़लत नहीं था।

©Vikash Kumar Singh #alone
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Vikash Kumar Singh

जब तक तेरे हिस्से में तन्हाई नहीं आयेगी
तब तक तेरी ग़ज़लों में गहराई नहीं आएगी।

©Vikash Kumar Singh #Books
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