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कहने सुनने को अब कुछ रहा नहीं हदे सारी अब पूरी

कहने  सुनने को अब कुछ रहा  नहीं
हदे सारी  अब पूरी हुई
साथ निभाने की सभीशर्ते
अब तिथि बाहय  हुई

©Parasram Arora
  तिथि  बाह्य

तिथि बाह्य #कविता

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