बाधाओं से खूब लड़े हैं, मजबूती के साथ अड़े हैं, झंझावात झेलकर भी तो, देखो सीना तान खड़े हैं, धूप रोककर करते छाया, इनके दिल में स्वर्ण जड़े हैं, छूने को आकाश हृदय में, पाल चुके अरमान बड़े हैं, गिरे टूटकर तूफाँ में जब, दबकर कितने लोग मरे हैं, मस्त झूलते आँधी में भी, कभी किसी से नहीं डरे हैं, घर दरवाज़े खिड़की चौखट, इनकी लकड़ी के पहरे हैं, जल जीवन पेड़ों से 'गुंजन', रिश्ते हम सबके गहरे हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #बाधाओं से खूब लड़े हैं#