Nojoto: Largest Storytelling Platform

खुरचनों के कंकाल पर कपाल रख कर बैठा हूं सुबह सवे

खुरचनों के कंकाल पर 
कपाल रख कर बैठा हूं

सुबह सवेरे रौंदे गए 
अधिकार लेकर बैठा हूं

आई है हिस्से में 
सूखे के पतों की नस

मरहम के लिए हाथ में 
कपास के फोहे लिए बैठा हूं

जड़ से आया है 
दर्द फुटकर बहार

और मैं सीने पर 
गुलाब लिए बैठा हूं

रहम कर भी लोग खुदा 
ना जाने में क्या क्या 
हिसाब लिए बैठा हूं // खुरचनों के कंकाल पर 
कपाल रख कर बैठा हूं

सुबह सवेरे रौंदे गए 
अधिकार लेकर बैठा हूं

आई है हिस्से में 
सूखे के पतों की नस
खुरचनों के कंकाल पर 
कपाल रख कर बैठा हूं

सुबह सवेरे रौंदे गए 
अधिकार लेकर बैठा हूं

आई है हिस्से में 
सूखे के पतों की नस

मरहम के लिए हाथ में 
कपास के फोहे लिए बैठा हूं

जड़ से आया है 
दर्द फुटकर बहार

और मैं सीने पर 
गुलाब लिए बैठा हूं

रहम कर भी लोग खुदा 
ना जाने में क्या क्या 
हिसाब लिए बैठा हूं // खुरचनों के कंकाल पर 
कपाल रख कर बैठा हूं

सुबह सवेरे रौंदे गए 
अधिकार लेकर बैठा हूं

आई है हिस्से में 
सूखे के पतों की नस

खुरचनों के कंकाल पर कपाल रख कर बैठा हूं सुबह सवेरे रौंदे गए अधिकार लेकर बैठा हूं आई है हिस्से में सूखे के पतों की नस