जो चेहरे से न जाहिर हो वो बात बताऊँ कैसे में तुम से प्यार करता हूं,तुमको समझाऊँ कैसे। जो वो रूठे कभी तो मैं उसको मनाऊँ बिना रूठे उसके ,मैं उसको मनाऊँ कैसे। आती है सपनो मैं मेरे वो हर रात अपने सपने मैं उसको दिखाऊँ कैसे वो न होती शायद कुछ भी न लिख पाता लिखा है सब उसी की बदौलत,उसको बताऊँ कैसे दिन में वो ज़िद करती है चाँद देखने की चाँद मेरे सामने है उसको समझाऊँ कैसे लिख दिया है हाल ए दिल सारा यहां। फिर भी वो न कुछ समझे तो उसको समझाऊँ कैसे। #4th quote