हिंडोले में तन बेचैन सा मन डोलता हुआ.. कभी अतीत को छू जाता.. कभी लौट कर आज में आ जाता.. तन का आनंद चरम मन की पीड़ा परम् छत पर हिंडोला ऊपर अस्तांचल का गोला.. नीचे साँझ ने इशारा किया जल उठा टिमटिमाता दिया... बिरहन की पीर नैना अधीर.. कंठ की पुकार फिर इक बार कि घर कब आओगे..? सुनो कब आओगे..? ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #leftalone