नाम है जिनका अनंत अनादि नीलकंठ आशुतोष शशांक शेखर सोमेश्वर नाथ, रामेश्वर नाथ आदिनाथ काशीविश्वनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों के राजा। चंद्र मस्तक पर जटाओं में गंगाजल की धार गले में सर्पहार लिए, भवभूति का श्रृंगार करे पांचमुख है जो पांच दिशाओं और पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करे। त्रिनेत्र के स्वामी भूत, भविष्य, वर्तमान देखे समुद्र मंथन के विष को पीकर नीलकंठेश्वर का नाम लिए। फिर कैसे न मैं आपको अपने "आराध्य" लिखूं।। शिव को शिव क्यों लिखा क्योंकि मतलब में है आप छुपे शि -व "वह जो नहीं है" जो ना होकर भी संसार रचे फिर मैं क्यूं न मैं आपको अपने आराध्य लिखूं।। अर्धनारीश्वर का रूप लिए, शिव अधूरे बिन शक्ति के उमापति नाथ, आदिदेव, सती के स्वामी सदा विराजमान रहे कैलाश में। कैसे करूं गुणगान प्रभु, अपने नाम से समाहित मेरे पति "शिवशंकर "का साथ दिया। अखंड सौभाग्य जीवनसंगिनी के रुप में सुप्रिया संग शिवशंकर का अचल संसार दिया फिर कैसे न मैं आपको अपने आराध्य लिखूं। हां हां एक मेरे आराध्य तुम्हीं हो।। स्वरचित: सुप्रिया ✍️ ©Supriya Shankar #हर हर महादेव #महाशिरात्रि_की_हार्दिक_शुभकामनाएं !