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कितनी ही निपुणता और कितने ही शालीन रंगो का प्

कितनी ही निपुणता  और कितने ही  शालीन  
रंगो का  प्रयोग क्यों न किया हो  तुमने 
तुम्हारी इस चित्रकारी मे. जो चित्र बन कर उभरा है 
वो खूबसूरत तो  नहीं   बन पाया है 
क्योंकि वो मूक है स्थिर है 
उसमे जीवंतता की लेश मात्र   तरंग भी नहीं है 
मेरेलिए तो तुम  उन  चित्रकारों की  लम्बी फेहरिस्त मे 
अपना नाम जोड़  चुके हो  जो आज तक 
स्थिर चित्रों  को बनाने मे... रंगो  को और 
समय को व्यर्थ गंवाते  आये  है  l #असफल  चित्रकार.........
कितनी ही निपुणता  और कितने ही  शालीन  
रंगो का  प्रयोग क्यों न किया हो  तुमने 
तुम्हारी इस चित्रकारी मे. जो चित्र बन कर उभरा है 
वो खूबसूरत तो  नहीं   बन पाया है 
क्योंकि वो मूक है स्थिर है 
उसमे जीवंतता की लेश मात्र   तरंग भी नहीं है 
मेरेलिए तो तुम  उन  चित्रकारों की  लम्बी फेहरिस्त मे 
अपना नाम जोड़  चुके हो  जो आज तक 
स्थिर चित्रों  को बनाने मे... रंगो  को और 
समय को व्यर्थ गंवाते  आये  है  l #असफल  चित्रकार.........