#ग़ज़ल_غزل: २२३ -------------------------- 2122-2122-2122-212 वक़्त रोज़ोशब की उल्टी गिनतियाँ गिनता रहा मैं मुसाफ़िर की तरह बस सीढियाँ गिनता रहा //१ खोज लूँगा चार पैसे पाव अद्धे के लिए इस ग़रज़ से मैं पुरानी रद्दियाँ गिनता रहा //२ ले गया सब माल कोई घर का ताला तोड़कर मैं बिना ताले की अपनी चाभियाँ गिनता रहा //३ बाद मुद्दत के किसी ने दी थीं फिर से हाथ में देर तक बच्चा मिलीं सब टॉफ़ियाँ गिनता रहा //४ लुट रही थीं अस्मतें, पिक्चर बनाता था कोई और कोई पैरहन की धज्जियाँ गिनता रहा //५ ले गया तुमको कोई शादी करा के और मैं नौकरी के वास्ते बस डिग्रियाँ गिनता रहा //६ सामने रुख़सत हुई वो लाल जोड़े में ऐ 'राज़' और मैं उसकी पुरानी चूड़ियाँ गिनता रहा //७ ~राज़ नवादवी© #Bechain_man