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तप, त्याग, तपस्या, प्रेम, सत्य, अहिंसा और बलिदा

तप, त्याग, तपस्या, प्रेम, सत्य,  अहिंसा  और  बलिदान,
आज भी आपके इन गुणों को, याद करता है हिन्दुस्तान।
हे महात्मा  आप ना जानें, अनगिनत  गुणों के  समंदर थे,
ना बुरा सुनो, ना देखो, ना कहो, ये तीनों आपके बंदर थे।  प्रतियोगिता का अंतिम चरण। (२ अक्टूबर प्रतियोगिता) 

विषय - दो लेखकों को मिलकर पूरा करना है।

🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है, लेकिन पृष्ठभूमि पर ही लिखेंगे। 

समय सीमा 2.00 AM 3rd October 2020 (तीनों चरण के लिए।)
तप, त्याग, तपस्या, प्रेम, सत्य,  अहिंसा  और  बलिदान,
आज भी आपके इन गुणों को, याद करता है हिन्दुस्तान।
हे महात्मा  आप ना जानें, अनगिनत  गुणों के  समंदर थे,
ना बुरा सुनो, ना देखो, ना कहो, ये तीनों आपके बंदर थे।  प्रतियोगिता का अंतिम चरण। (२ अक्टूबर प्रतियोगिता) 

विषय - दो लेखकों को मिलकर पूरा करना है।

🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है, लेकिन पृष्ठभूमि पर ही लिखेंगे। 

समय सीमा 2.00 AM 3rd October 2020 (तीनों चरण के लिए।)