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जो जिंदगी में लड़ा और लड़ता रहा वही तो भीम था मैं पा

जो जिंदगी में लड़ा और लड़ता रहा
वही तो भीम था
मैं पांडु पुत्र भीम की बात नही कर रहा
कभी गलियों में,कभी चौराहों पर
पानी के लिए कुएं पर
यात्रा के दौरान बस स्टॉप पर
अक्षर ज्ञान के लिए स्कूलों में
और भी न जाने कहा कहा
लेकिन लड़ते लड़ते वो भीम बन गया
भीम जो रुकावटो से डरता नही
थक कर मुड़ता नही
अजीज आ गया होगा वो पाखंडों से
तभी तो छोड़ा होगा धर्म
अम्बेडकर कौई व्यक्ति नही
जिद का  नाम होगा
न जाने कितनों से लड़ा होगा 
बावजूद आगे बढ़ा होगा
आज हर जगह भीम है
स्कूल के  कमरों में
बस के सीट में
राशन की कतारों में
सरकारी दफ्तरों में
कही साहब तो कही सेवक बन कर
क्योंकि ऐसी दुनिया  तुझसे पहले न थी 
इसलिये हर उन बच्चों से गुजारिश
तुम्हारे रास्ते मे रुकावट कम है
रुको मत आगे बढ़ो
और साबित करी की अम्बेडकर तुझमे जिंदा है
जो पड़े जरूरत तो  लड़ो
कहो कि मुझमे भीम है 
हा छोटा भीम महाभारत वाला नही
महभारत कर  सकने  वाला
हा हा हा

©ranjit Kumar rathour
  जिद का नाम भीम
#poetry month

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