मास्टर की सेब कभी खत्म नही होती बच्चों का ध्यान कॉपी और किताबों पर कम मास्टर के सेब पर अक़सर होती मुँह चलता है पढाने के लिये नही खाने के लिये हाथ बढ़ते है जरूर कान के नीचे बजाने के लिये बच्चो के बैग खिलौने और फटे कागजो से भरे किताबों की हालत बिकुल्ल ढीले हो रहे मास्टर के दिमाग की तरह ब्लैक बोर्ड हमेसा खाली ही रहती कमरे के बैंच की हालत टूटी फर्नीचर है जो कबाड़े वाले के पास मुझे अक्सर दिखती है ✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या मास्टर की सेब कभी खत्म नही होती बच्चों का ध्यान कॉपी और किताबों पर कम मास्टर के सेब पर अक़सर होती मुँह चलता है पढाने के लिये नही खाने के लिये