चाँदनी रात थी;लेकिन हो रही बरसात थी!एकाएक बिजली गिरने सेअटकी प्राण थी! काश रास्ता मिल जाता इसी की तलाश थी! सामने देखा लाशों से लिपटी समसान थी! सामने से एक मुर्दा बोलाआ तेरी तलाश थी मरने के बाद हमे अब मिट्टी की दरकार थी! क्योंकि मेरे जीवन में सिर्फ आतंकवाद थी! हमें कौन मिट्टी देगा ऐसी चल रही बात थी! तू खुदा बन आ गया अब तेरी ही तलाश थी! न हूर मिली न जन्नत न अपनों से मिली मिट्टी!या खुदा तूने कैसी सजा दिया! हूर-जन्नत तो दूर मिट्टी भी नही मिली।