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न जाने क्यों पर तुझे याद करते हैं बहुत शायद यही है

न जाने क्यों पर तुझे याद करते हैं बहुत
शायद यही है वजाहे मेरी रातों में जागने की
न जाने क्यों पर मेरा मन है अधुरा
शायद इसीलिए रोया करता हूंँ बिना आँसु के ही
ऐ दोस्त शायद है लगती कमी मुझे तेरी ही
दोस्ती की आज कल मेरे जीवन में शायद
था वक्त कम हमारे दरम्यान पर थे सुहाने
वो पल भी के अब रहा नहीं जाता बिना
बात किए तुझसे, शायद यादों में नहीं हुँ
शामिल में तेरी तभी है कुछ दुरीयाँ
अनदेखी, अनकही सी तेरे मेरे दरम्यान

©SAHIL KUMAR
  कुछ यादें पुरानी
sahilkumar8501

SAHIL KUMAR

New Creator

कुछ यादें पुरानी #कविता

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