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sahilkumar8501
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SAHIL KUMAR

student

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SAHIL KUMAR

White वक्त फिर से ले आया उन्ही कल की गलियों में जहाँ छुटे थे, 
कभी कल तक के सफर, कब तक युंही लाती रहेगी ज़िंदगी फिर उन्ही लम्हों के सामने कभी अकेले तो कभी कुछ पल युंही किसी के साथ के,
 कब तक बेरूखा-सा रहेगा यह वक्त भी की हर बार जिंदगी ले कर आती रहेगी फिर उसी मोड़ पे

©SAHIL KUMAR फिर उसी मोड़ पर

फिर उसी मोड़ पर #कविता

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SAHIL KUMAR

White ऐ वक्त कुछ मौहल्लतें तो दे इन बेवक्त की बेड़ीयों से, 
कुछ दूरी सी रह गई है मेरी खुद की ही जिंदगी से न वो साथ रहा अपने ही दिल से, 
जो पुरा करता था मुझको खुद से, 
अब तो सब झूठ सा लगता है क्यु देखुं एक बिखरे सच को उसे भी तो कोई सहारा ही चाहिऐ
फिर दोबारा बिखरने के लिए

©SAHIL KUMAR फिर वही राहें

फिर वही राहें #शायरी

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SAHIL KUMAR

White न रहे अब इंतज़ार आँखों में न रही तलाश फिर से 
खुद को पाने की जरूरी नहीं की रातों में सिर्फ तन्हाई और मोहब्बत ही जागे यह तो बस बदनामीयां है ज़माने की आँखे और निंदे तो फिर भी खुल जाती है कभी आहटों से तो कभी सन्नाटों से

©SAHIL KUMAR
  #good_night  हिंदी शायरी

#good_night हिंदी शायरी

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SAHIL KUMAR

White खामीयां तो कई थी पर अब कमीयां भी दिखा दी वक्त ने, कुछ उम्मीदें भी थी वक्त से पर उसने भी हकिकत बयां की बड़ी बेदर्दी से मेरी खुद मुझी से कुछ बातें हुई दिल के पार कुछ खत्म करने को जैसे अब दिल भी है दुर मेरी बातों से

©SAHIL KUMAR
  किसे कहूं?

किसे कहूं? #कविता

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SAHIL KUMAR

हमारी कहानीयाँ थी तो सुनने के काबिल पर ज़माने में सब्र कहांँ था, की जो बातें रह गई कहता मैं उस पर गौर कर लेते, लोगों का काम था बस जो निकल गया हम तो रूके रह गए ठहरे हुए से कहीं किसी कोने में

©SAHIL KUMAR
  पता नहीं क्यों

पता नहीं क्यों #कविता

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SAHIL KUMAR

पुरानी यादें ओझल हो रही हैं खुद ही से, टकरा कर मेरी आँखों से लौट रही जैसे लहरें है दुर जा रही अपने ही किनारों से, बिखर गई वो सारी सफर की कहानियांँ क्योंकी बदल रहे हैं खुद किरदार अपने आपको रह गया है कहीं जो साथ अधुरा अब कहां होगा पुरा, आँसु भी खुद के कहाँ है दिखाई दे रहे की वक्त भी बन गया पत्थरों सा

©SAHIL KUMAR
  कौन रहा साथ

कौन रहा साथ #कविता

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SAHIL KUMAR

Red sands and spectacular sandstone rock formations तलाश है उन निगाहों की जो मेरी बुराईयां खत्म कर दें,
जब भी देखुँ उन्हें तो उन में हमेशा मेरा हक दिखे
जो बातें भी बस देखते ही बयां कर दें की कितने भी इंतजार के बाद वो देखे‌ तो भी‌ वो सफर‌ लगे

©SAHIL KUMAR
  कहां हैं वो नज़रे

कहां हैं वो नज़रे #कविता

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SAHIL KUMAR

रहिमन धागा प्रेम का मत तोडो चटकाए,‌टुटे फिर न जुड़े जुड़े तो गाठ पड़ जाऐ - रहिम

वक्त से परे मित मिले तो वक्त रूक जाऐ, जो मित कभी छोड़ जाऐ फिर आंगन में भी न‌ मिल पाऐ 
- साहिल

©SAHIL KUMAR
  मेरे दोहे

मेरे दोहे #विचार

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SAHIL KUMAR

saving streak

©SAHIL KUMAR
  #sunrisesunset
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SAHIL KUMAR

kuch nahi likhne ko yeh kaisi naubat aayi kuch soojhta nahi yeh bhala kaisi vipada aayi

©SAHIL KUMAR
  #christmascelebration
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