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White कभी चाहत में अश्क़ बहाए, कभी सब्र की लौ जला

White कभी चाहत में अश्क़ बहाए,
कभी सब्र की लौ जला दी।
तूने भी सख़्ती में हद कर दी,
हमने भी उम्मीदें मिटा दी।

इश्क़ में कोई शिकस्त नहीं है,
बस खेल है तक़दीर का सारा।
तू भी अजब ढंग से दूर बैठा,
मैं भी अजब ढंग से हारा।

तेरा भी मिज़ाज अजब ही निकला,
मेरा भी जीने का ढंग अजब पुराना।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
White कभी चाहत में अश्क़ बहाए,
कभी सब्र की लौ जला दी।
तूने भी सख़्ती में हद कर दी,
हमने भी उम्मीदें मिटा दी।

इश्क़ में कोई शिकस्त नहीं है,
बस खेल है तक़दीर का सारा।
तू भी अजब ढंग से दूर बैठा,
मैं भी अजब ढंग से हारा।

तेरा भी मिज़ाज अजब ही निकला,
मेरा भी जीने का ढंग अजब पुराना।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर