उदासी देख कर तेरी बहारें रूठ जाती है तड़पता है हृदय मेरा औ सांसें छूट जाती है तुम्हारे प्रेम मे मैंने प्रिय इतना ही सीखा है जिसे झुकना नहीं आता वो शाखें टूट जाती है #मनीष_के_मुक्तक उदासी देख कर तेरी बहारें रूठ जाती है तड़पता है हृदय मेरा औ सांसें छूट जाती है तुम्हारे प्रेम मे मैंने प्रिय इतना ही सीखा है जिसे झुकना नहीं आता वो शाखें टूट जाती है _*©मनीष रोहित गराई✍*_