✍️आज की डायरी✍️ ✍️ये रात भी गज़ब का..✍️ "ये रात भी ग़ज़ब का कमाल करती है, सारे दिन का हिसाब एक साथ करती है । जब भी करो गुफ़्तगू कभी तन्हाई के साथ , ये ख़ुद भी अपने तमाम सवाल करती है ।। ये रात भी गज़ब का कमाल करती है ....।।१।। कभी ये पूछना नींद क्यूँ नहीं आती है तुम्हें , कौन है जिसकी याद अक़्सर सताती है तुम्हें ।। कौन सा ख़्वाब है जो आँखें खोलकर देखते हो , कौन सा राज है जो पलकें बन्दकरके सोचते हो । अपने प्रश्नों से हम सबको निढाल करती है ।। ये रात भी गज़ब का कमाल करती है ....।।२।। यूँ तो अक़्सर अपने सन्नाटे से डरा जाती है , फ़िर भी कुछ वक़्त ये साथ निभा जाती है , ये आती है दिन भर का हिसाब करने के लिये , अनसुलझे सवालों का बस जवाब देने के लिये , स्याह रंग में हर रंग का मिलान करती है ।। ये रात भी गज़ब का कमाल करती है ....।।३।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र ये रात भी गज़ब का कमाल करती है✍️✍️✍️