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तेरे हुजरे से निकल के मौला किस दरबार मे जाऊं, अपनी

तेरे हुजरे से निकल के मौला किस दरबार मे जाऊं,
अपनी शख़्सियत से निकलूँ तो किस किरदार में जाऊं!!

बस इसी तमन्ना से दिन रात पसीने बहाता हूँ,
खिलौने रोटियाँ कमा लूं तो अपने घर बार मैं जाऊं!!

यकीनन फख्र से सीना दुगुना हो जाएगा पापा का,
गर कल ओहदा कोई लेकर मैं परिवार में जाऊं!!

जरुरते अभी घर की मुझे मुक्कमल करनी है,
जिम्मेदारियों के संग मैं कैसे प्यार में जाऊं!!

अभी तो हसरतें जिंदा रखना मुमकिन नही है नादारी में,
मेरी मेहनत ही बोलेगी अगर कल कार में जाऊं!!



 #dilaemushafir
तेरे हुजरे से निकल के मौला किस दरबार मे जाऊं,
अपनी शख़्सियत से निकलूँ तो किस किरदार में जाऊं!!

बस इसी तमन्ना से दिन रात पसीने बहाता हूँ,
खिलौने रोटियाँ कमा लूं तो अपने घर बार मैं जाऊं!!

यकीनन फख्र से सीना दुगुना हो जाएगा पापा का,
गर कल ओहदा कोई लेकर मैं परिवार में जाऊं!!

जरुरते अभी घर की मुझे मुक्कमल करनी है,
जिम्मेदारियों के संग मैं कैसे प्यार में जाऊं!!

अभी तो हसरतें जिंदा रखना मुमकिन नही है नादारी में,
मेरी मेहनत ही बोलेगी अगर कल कार में जाऊं!!



 #dilaemushafir