White उन्हें कितना अज़ीब लगता होगा दुबारा सजना जो इक़ हमसफ़र ज़िंदा छोड़के करें किनारा..! है न अज़ीब अज़ायत मेरे लिये इस ज़िन्दगी में उसे छोड़कर कोई ख़्वाव न आये मुझे दूसरा..! गज़ब का आज का दौर है शौक से करते है इक़ के साथ वादे,हमशाया,हमराह हो दूसरा.! मैं इस दुनियां के लायक ख़ुद को नही मानता मैं इक़ ही जगह रुका रहा,वें कर लिये किनारा.! मुहब्बत इस जहाँ कौन करता है देख लो तुम सबको अब वक़्त काटना है,है किसे निभाना.! खुद को उसके ख़ातिर फ़ना कर दिया हमनें आज यें मंज़र है,वें मुझे छोड़ दूसरे का हो रहा.!! ©Shreyansh Gaurav #बेवफ़ा 'दर्द भरी शायरी'