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न सोचा था मन में कभी ऐसा फितूर आएगा तू नहीं आई तो

न सोचा था मन में कभी ऐसा फितूर आएगा
तू नहीं आई तो मन में कोई और नहीं आएगा अगर मैंने गलत समझा तो फिर ऐसा ही रहने दो
हमारा हर भरम झूठा हो ऐसा भी नहीं लगता
हम जैसे हैं वैसे ही सही हैं इस जमाने में
नए किरदार में आना हमें अच्छा नहीं लगता
जलाकर श्याम की बंसी पकाना रोटियां अपनी
किसी को खूब भाता है मुझे अच्छा नहीं लगता
उससे बात करता हूं वह बातें मान लेती है
अगर रूठे ना वो दो पल मुझे अच्छा नहीं लगता
न सोचा था मन में कभी ऐसा फितूर आएगा
तू नहीं आई तो मन में कोई और नहीं आएगा अगर मैंने गलत समझा तो फिर ऐसा ही रहने दो
हमारा हर भरम झूठा हो ऐसा भी नहीं लगता
हम जैसे हैं वैसे ही सही हैं इस जमाने में
नए किरदार में आना हमें अच्छा नहीं लगता
जलाकर श्याम की बंसी पकाना रोटियां अपनी
किसी को खूब भाता है मुझे अच्छा नहीं लगता
उससे बात करता हूं वह बातें मान लेती है
अगर रूठे ना वो दो पल मुझे अच्छा नहीं लगता
saurabhmishra6084

saurabh

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