उस पुरानी पहचान को , जिसका हो रहा अपमान है , रखना पड़ेगा हमको थोड़ा ध्यान है , उस सोने की चिड़िया वाले भारत का , जिसका सपना गांधी बापू ने देखा था , माँ ने ममता को पिता ने अच्छाई को चिड़िया ने आसमान को पेड़ ने धरती को सब ने कुछ न कुछ बचा लिया है हमारा फ़र्ज़ बनता है हम भी बचा लें कुछ और न सही तो शब्दों को ही।