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जहां से प्यार मिला था वहां से मिला नही, ना जाने कह

जहां से प्यार मिला था वहां से मिला नही,
ना जाने कहा धुंढता है यहीं कहीं
उलफत का मारा,बन गया है बनजारा
बिन मौहब्बत के चैन आता नहीं,
ना जाने सिरकत मिलेगी की नहीं..
तमन्नाओ कि महफिल मे बैठा
इन्तज़ार कर रहा अपनी महबूबा का
शाम ढल गयी पता क्या ,आयेगी या नही..!!

©Shreehari Adhikari369
  #शाम ढल गयी
shreehariadhikar2146

HARSHIT369

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#शाम ढल गयी #कविता

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