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चाँद से राब्ता अपना सौर मंडल सा पुराना है चाँद

चाँद  से राब्ता अपना  सौर  मंडल सा पुराना है
चाँद  से  गुफ़्तगू  को भी एक से एक बहाना है
बचपन की लोरियों में माँ ने चाँद को मामा बताया
कभी  दादी  ने  इसे   परियों   का  घर  बताया
कभी  तो  महबूबा  लगी पूरे चाँद जैसी हमको
तो  कभी  चाँद  सी  पेशानी पे बोसा  टिकाया
कभी  इसको  देख  चौथ  तो कभी ईद मनाई
कभी  व्रत हुए पूर्ण, कभी साथ  सेवइयां खाई
कभी  चाँद  सूखे  पतों  सा  पीला नज़र आया
और  सावन  कर  रातों में  गीला  नज़र  आया
गर्मी  की  रातों   में  ये  दरिया  में  भी  नहाया
कुछ  सर्द  रातों  में  ठिठुरता  भी  नज़र आया
कभी  चाँद  कम  तो कभी ज्यादा नज़र आया
मगर  जब भी चाँद आया मोहब्बत साथ लाया 🎀 Challenge-213 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।
चाँद  से राब्ता अपना  सौर  मंडल सा पुराना है
चाँद  से  गुफ़्तगू  को भी एक से एक बहाना है
बचपन की लोरियों में माँ ने चाँद को मामा बताया
कभी  दादी  ने  इसे   परियों   का  घर  बताया
कभी  तो  महबूबा  लगी पूरे चाँद जैसी हमको
तो  कभी  चाँद  सी  पेशानी पे बोसा  टिकाया
कभी  इसको  देख  चौथ  तो कभी ईद मनाई
कभी  व्रत हुए पूर्ण, कभी साथ  सेवइयां खाई
कभी  चाँद  सूखे  पतों  सा  पीला नज़र आया
और  सावन  कर  रातों में  गीला  नज़र  आया
गर्मी  की  रातों   में  ये  दरिया  में  भी  नहाया
कुछ  सर्द  रातों  में  ठिठुरता  भी  नज़र आया
कभी  चाँद  कम  तो कभी ज्यादा नज़र आया
मगर  जब भी चाँद आया मोहब्बत साथ लाया 🎀 Challenge-213 #collabwithकोराकाग़ज़

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vishalvaid9376

Vishal Vaid

New Creator