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सोचा भी है कभी बग़ैर तुम्हारे हमारा क्या होगा, बत

 सोचा भी है कभी बग़ैर तुम्हारे हमारा क्या होगा,
बताओ ज़रा बग़ैर धरती के कैसे ये आसमां होगा,
माना कि मोहब्बत हमारी मुकम्मल हो नहीं सकती इस ज़माने में,
फिर बताओ कैसे बग़ैर मोहब्बत के मुकम्मल ये जहां होगा।।

©रोहित
  फिर कैसे ये मुकम्मल जहां होगा। #रोहित #शायरी

फिर कैसे ये मुकम्मल जहां होगा। #रोहित #शायरी

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