इन्सुरेंस एजेंट और लेख़क की हालत और हालात एक जैसे होंतें हैं वो दोनों ही भागते रहते हैं कोई पॉलिसी करा लें या कोई मेरी कविता सुन लें और जो लोग जान जातें हैं कि ये इन्सुरेंस एजेंट हैं या लेखक हैं और अब ये चिपकायेगा कुछ ना कुछ तो वो जनता ऐसे सरपट कहाँ भागती हैं पता ही नही चलता , और कुछ को तो चक्कर आने लगते हैं और कोई कोई तो चेहरा भी पसंद नही करता , और गलती से अगर किसी ने सुन ली कविता और कह दिया कि आप तो अच्छा लिख लेते हैं " तो उसी दिन जीवन धन्य हो जाता हैं लगता हैं जन्म लेना सफल हुआ 🤣🤣🤣🤣 #neerajwrites एक लेखक की व्यथा