वो किसी और के ख्वाबो में बेकरार होई जाती इक हम ह जिससे वों क्यों इकरार नही पाती ।। उसका नाम लबों पे यहाॅं हरपल होता ह जिक्र उसका खुद से मेरा पलपल होता ह ना जाने क्यों दिल से अब वो भुलाई नही जाती