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मुंह जब लागै तब नहिं छूटै जाति मान धन सब कुछ लूटै।

मुंह जब लागै तब नहिं छूटै जाति मान धन सब कुछ लूटै।
पागल करि मोहि करै खराब क्यों सखि साजन नहिं सखि सराब।

©आलोक त्रिपाठी भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की कविता 
#BlownWish
मुंह जब लागै तब नहिं छूटै जाति मान धन सब कुछ लूटै।
पागल करि मोहि करै खराब क्यों सखि साजन नहिं सखि सराब।

©आलोक त्रिपाठी भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की कविता 
#BlownWish

भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की कविता #BlownWish