जनहित की रामायण - 69 मुझे जान से ज्यादा प्रिय मेरी शर्मोहया ! अफ़सोस हिजाब पे रोक ने ज़ुल्म किया !! कोख में हत्या से शुरू लड़की पे ज़ुल्म की दास्तां ! शिक्षण संस्थान ने इसका भी संज्ञान न लिया !! लड़कियों को पढ़ाया नहीं तो वो निर्भर रहेगी पति पर ! असहनीय ज़ुल्म हुए तो भी हो न सकेगी आत्मनिर्भर !! पुरुष प्रधान समाज़ की साज़िश का है ये नतीज़ा ! हिजाब अर्जी को सर्वोच्च ने भी प्राथमिकता से न लिया !! सजायाफ्ता खूनी के लिये सर्वोच्च रात को भी हाज़िर ! सुनवाई होनी चाहिये थी छात्राओं की शिक्षा के खातिर !! इंसाफ पर जनमानस का भरोसा डगमगाने लगा है ! जनसाधारण न्याय की गुहार लगाने से घबराने लगा है !! भला हो न्यायालय न्याय में जनहित की पताका फहराये ! लोकतंत्र की लाज का अपना दायित्व शिद्दत से निभाये !! #hijab #hijabquote #girls #education #judiciary #aaveshvaani #janmannkibaat #janhitkiramayan