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दास्ताँ सुनाऊँ अपनी, और मज़ाक़ बन जाऊँ बेहतर है ख़

दास्ताँ सुनाऊँ
अपनी, और मज़ाक़ बन जाऊँ
बेहतर है
ख़ामोश रहूँ और गुम हो जाऊँ

©हिमांशु Kulshreshtha
  मुमकिन है...

मुमकिन है... #शायरी

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