बचपन और शैतानी बचपन और शैतानी जिंदगी थी कितनी सुहानी जब चाहो करो मनमानी ना रोके नाना ना नानी अपनी ही थी बात मनवानी चाहे पड़ जाए पूरी दुनिया हिलानी साथी संग चले सदा दिमाग में जुगाड़ पानी आज तो है मम्मी पापा की नींद उड़ वानी पढ़ाई की बात कहां कभी मानी धीरे से फैलाया नोटबुक में पानी जब पढ़ती थी डांट उठानी लगते थे आंखों से बहाने पानी था उल्लू सबको खूब बनाया फल फूल मिठाई तक दोस्तों संग चुराया पकड़े जाने पर कान पकड़कर धीरे से मुस्कुराया बहुत सुहाने पल थे जो मैंने बचपन में बिताया ।। kanchan Yadav #bachpan #Bachpan aur shaitani