सुनो न मेरी गुलाबो ❤ ये जो तुम हमेशा कहती हो की, हम तुम्हें समझते नहीं हैं, क्या तुम्हें सच में ऐसा लगता है? क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें हमसे ज़्यादा कोई नहीं समझ सकता...? (शेष अनुशीर्ष में) सुनो न मेरी गुलाबो ❤ ये जो तुम हमेशा कहती हो की, हम तुम्हें समझते नहीं हैं, क्या तुम्हें सच में ऐसा लगता है? क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें हमसे ज़्यादा कोई नहीं समझ सकता...?