दोस्त ,ये वो रिश्ता है जिसे अल्फाजों में नहीं बयां कर सकते , जिसे सिर्फ जज़्बातो मे समझा जा सकता हैै , ये वो रिश्ता है जो खून का नहीं पर उससे भी कहीं ज्यादा ऊपर होता है , हम लड़ते है ,झगड़ते है , साथ हसते गाते ,खिलखिलाते है , इज्जत तो अपने दोस्तों की होती नहीं , पर कोई और कुछ बोले तो उसकी इज्जत उतार देते है , अक्सर तू तड़क से बाते शुरू होकर , साली ,कुतिया ,कामिनी , चल बे, हट बे , पर बाते खत्म रुक जाती है , इतनी बातें तो हम अपने घर वालों से नहीं करते , जितनी की दोस्तों से हो जाती है , वैसे तो ये अपनी हरकतों से अक्सर ही तंग करते है , पर मन जब दुखी होता है तो ये पीड़ाहारी गोली बन जाते है , जितना ज्ञान साल भर में नहीं देते वो सब एक दिन में दे जाते है , सब के सब अजब नमूने होते है , घर में सबके लिए नालायक , पर यारों की महफिलों की शान होते है , कहने को तो बहुत कुछ होता है , पर अपने को अल्फाज ही नहीं मिलते , ये दोस्त मेरा दिल, फेफड़े , गुर्दे , मेरे जिगर के टुकड़े , और " सोनम " की नस नस में बसते है , नालायक ही सही पर मेरे सबसे खास होते है | ilovemyfriends happyfriendshipday.