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झूठ तुम्हारा तुम्हे नए मुखौटे दे रहा हैँ

झूठ  तुम्हारा  तुम्हे  नए  मुखौटे   
दे  रहा  हैँ ... 
कितने  बदनसीब हो  तुम  कि  तुम  मुखौटे 
की  जिन्दगी  जी  कर  स्वयं  अपने  को  ही
धोखा  दे  रहे हो 
ह्रदयहीनता  और  संवेदनशून्यता  तुम्हारी   सम्पदा 
बन चुकी  हैँ    और  तुम  अपने  भीतर के   महापुरुश  को   बाहर  आने  से  रोक  रहे  हो
यही  हैँ  तुम्हारा  वो   दोगला   जीवन   जिसे 
तुम   .  जी  कर  सच  को  ठुकरा  रहे  हो 
कदाचित  तुम  जानते  नहीं.  कि  ईश्वर  
और  खुद  से  कितना    दूर  होते  जा  रहे  हो मुखौटा........
झूठ  तुम्हारा  तुम्हे  नए  मुखौटे   
दे  रहा  हैँ ... 
कितने  बदनसीब हो  तुम  कि  तुम  मुखौटे 
की  जिन्दगी  जी  कर  स्वयं  अपने  को  ही
धोखा  दे  रहे हो 
ह्रदयहीनता  और  संवेदनशून्यता  तुम्हारी   सम्पदा 
बन चुकी  हैँ    और  तुम  अपने  भीतर के   महापुरुश  को   बाहर  आने  से  रोक  रहे  हो
यही  हैँ  तुम्हारा  वो   दोगला   जीवन   जिसे 
तुम   .  जी  कर  सच  को  ठुकरा  रहे  हो 
कदाचित  तुम  जानते  नहीं.  कि  ईश्वर  
और  खुद  से  कितना    दूर  होते  जा  रहे  हो मुखौटा........

मुखौटा........