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Unsplash विधा-सोहाशेष आदरणीय श्री शेष मणि शर्म

Unsplash   
विधा-सोहाशेष

आदरणीय श्री शेष मणि शर्मा जी द्वारा रचित नवीन
 विधा सोहाशेष जो कि दोहा+सोरठा के संयोग से
 बनती है। मेरे द्वारा रचित एक रचना आप सबके
 समक्ष सादर समीक्षा हेतु प्रस्तुत है -

कनक वर्ण सरसों खिली, रही खूब इठलाय।
बैठी तरुवर डाल पे,        कोयल गाना गाय।
गाय मनोहर गीत,    तान छेड़ती अति मधुर।
प्रीति प्रणय मन मीत,  उमड़े अंतस में प्रचुर।
लगे प्रभात तुषार,   मन अनंग बढ़ती हनक।
मधुप करे गुंजार , धरती दिखती मनु कनक।।

कमल कीच में खिल गया,भँवरा गाए गान।
कोयल ने भी छेड़ दी,    अपनी मीठी तान।
तान सुरीली छेड़,  गीत सुनाती अति मधुर।
पड़ी भानु की एड़,    फूटे बीजों में अँकुर।
बदले मौसम रूप,समीर बहती अति चपल।
भोर सुबास अनूप,    खिले सरोवर में कमल।। 

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #poem
#Spring 
#beatyfullnature
#सोहाशेष(दोहा+सोरठा)
Unsplash   
विधा-सोहाशेष

आदरणीय श्री शेष मणि शर्मा जी द्वारा रचित नवीन
 विधा सोहाशेष जो कि दोहा+सोरठा के संयोग से
 बनती है। मेरे द्वारा रचित एक रचना आप सबके
 समक्ष सादर समीक्षा हेतु प्रस्तुत है -

कनक वर्ण सरसों खिली, रही खूब इठलाय।
बैठी तरुवर डाल पे,        कोयल गाना गाय।
गाय मनोहर गीत,    तान छेड़ती अति मधुर।
प्रीति प्रणय मन मीत,  उमड़े अंतस में प्रचुर।
लगे प्रभात तुषार,   मन अनंग बढ़ती हनक।
मधुप करे गुंजार , धरती दिखती मनु कनक।।

कमल कीच में खिल गया,भँवरा गाए गान।
कोयल ने भी छेड़ दी,    अपनी मीठी तान।
तान सुरीली छेड़,  गीत सुनाती अति मधुर।
पड़ी भानु की एड़,    फूटे बीजों में अँकुर।
बदले मौसम रूप,समीर बहती अति चपल।
भोर सुबास अनूप,    खिले सरोवर में कमल।। 

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #poem
#Spring 
#beatyfullnature
#सोहाशेष(दोहा+सोरठा)
ramjitiwari1532

Ramji Tiwari

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