सुबह से शाम कब हो जाती हे पता ही नही चलता, हम कब बड़े हो जाते है पता ही नही चलता, कब हमारे ऊपर जिम्मेदारिया आ जाती है पता ही नही चलता, कब अपनो के पास होने पर भी दूरियाँ बन जाती हैं पता ही नही चलता, वक़्त कब रेत की तरह हाथों से फिसल गया पता ही नहीं चलता, पता चलता है तो बस ये की हमे कुछ पता नहीं चलता, तो क्यु न थोड़ा थमा जाए, हर पल महसूस किया जाए, अपनों से अपनों की तरह मिला जाये, जीवन को जिया जाये, जिंदा एक इंसान बना जाये...... ©tina patidar be a human not machine.. 👩🦱👩🦱