मदिरा अनंत मदिरा कथा अनंता। मदिरालय है मंदिर और मदिरापान हैं करते इनके भक्ता। मदिरालय में ही आकर बह जाए धर्म की आड़ में जो नफरत पलता। ऊंच नीच और जाति पाति का इसके आंगन भेद है मिटता। छल, प्रपंच, द्वेष या फिर नफरत सब मदिरा पीते ही है छंट जाता। होश में जो अक्सर झूठ बोले पीकर वो सब सच कह जाता। कोई मदिरा पीकर वांचें ज्ञान कोई मदिरा पीकर हुड़दंग मचाता। सही रूप निखरकर है बाहर आये दो घूंट मदिरा जैसे ही अंदर जाता। गम जो नासूर बने रहते दिल के मदिरा पीते ही कम हो जाता। बिन मदिरा पीये जो होते दुश्मन। पीकर मदिरा वो हो जाते भ्राता। राष्ट्र भक्तों की गर गिनती हो इनका नंबर है पहला आता। अर्थव्यवस्था को दिया सहारा। फिर भी है इनको दुत्कारा जाता। मदिरा रहस्य है मुश्किल बड़ी हर किसी के समझ न आता। मदिरा अनंत मदिरा कथा अनंता। अमित अनुपम मदिरा अनंत मदिरा कथा अनंता।