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अमित अनुपम

मेरी कलम मेरी अभिव्यक्ति है। मैं कलम से खुद को लिखता हूं।

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अमित अनुपम

हर्ष हो उत्कर्ष हो और जीवन मे प्रकाश हो।
वैभब हो समृद्धि हो और हर दिन उल्लास हो।।
सफलता हर दिन कदम चूमती जाए तुम्हारी।
दुआ है तेरे हर कदमों में एक नया इतिहास हो।।
                                      मेरे अक्स को 5वें जन्मदिन पर स्वस्थ, समृद्ध और चिरायु जीवन के लिए शुभाशीष। #Happy birthday अद्वित

#Happy birthday अद्वित

10 Love

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अमित अनुपम

गिरगिट की तरह हमने किरदार बदलते देखा है।
हो वक्त का तकाजा तो सरकार बदलते देखा है।।

हर दिन खबरों की सुर्खियों में छाया रहता था जो।
गर्दिश में सितारे आये तो अखबार बदलते देखा है।।

इन लहरों से टकराकर नौका कैसे पार हो पाएगी।
बीच मझधार ही हमने कई पतवार बदलते देखा है।।

अपनों की ढपली पर जो राग लगाया जीवन भर।
परायों ने साथ निभाया रिश्तेदार बदलते देखा है।।

मतलब की भीड़ खड़ी रहती है दरवाजे पर 'अमित'।
गर स्वार्थ निकल जाए तो संसार बदलते देखा है।।
-अमित "अनुपम" #fourlinepoetry
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अमित अनुपम

गिरती परती लटकती अपनी गाड़ी चल रही है।
मेहनत ईमान धरम तप त्याग से सँभल रही है।।


रिश्ते नाते दौलत शोहरत सब उन्हें ही मुबारक।
अपनी मुफलिसी ही तो लोगो को खल रही है।।


वो जो किसी के नजरों से गिराना चाहते थे मुझे।
उनसे कहो जाकर साजिशें उनकी सफल रही है।।


लाख जतन कर ले कोई गिराने को मेरी हसरतें।                          उम्मीदों के बोझ उठाने जवानी मेरी मचल रही है।।


वो जो मेरा खुदा बनकर बैठा है जमाने मे यहां।
उसकी खुदाई भी मुझे ना जाने क्यों छल रही है।। #BuildingSymmetry
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अमित अनुपम

तखल्लुस में अपने, मैने तेरा नाम कर दिया।
नाम बहुत है तेरा, लो तुझे बदनाम कर दिया।।

भड़ी बाजार में जब लग रही थी तेरी बोली।
बख्श दिया तुझे औऱ खुद को नीलाम कर दिया।।

तुम्हारे मोहब्बत में क्या दिन और क्या रात।
शाम को सुबह और सुबह को शाम कर दिया।।

डर डर कर मोहब्बत करने में क्या मजा है।
महफ़िल में चूम तुझे, इश्क़ सरेआम कर दिया।।

तेरी लफ्जों की पाकीजगी को माथे पर रख।
जान लुटा दी अपनी और तेरा काम कर दिया।।

                                     अमित "अनुपम" #welove

12 Love

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अमित अनुपम

द्वितीय भाग
मुश्किलों की दीवारें चाहे बना दो।
गमों के समंदर में चाहे डूबा दो।
भाग्य का सूरज कभी तो उगेगा।
रात का अंधेरा कभी तो छंटेगा।

कर्म का अलख मैं जगाता रहूंगा।
प्यार के गीत मैं गाता रहूंगा।।

अगर है खुदा तो सुनेगा कभी।
हमारी खबर भी वो लेगा कभी।
भले उसके दर पर होती हो देर।
जीवन में आने ना देता अंधेर।

दर्द अपना उसे मैं सुनाता रहूंगा।
मैं प्यार के गीत गाता रहूंगा।।

कभी ना चाहा किसी का बुरा।
भले ही कोई ना मुझे दे दुआ।
मैं खैर सबकी ही चाहूँ सदा।
चाहे अपना ही मुझे दे दे दगा।

रिश्ता सभी से निभाता रहूंगा।
मैं प्यार के गीत गाता रहूंगा।।
         -अमित अनुपम
                                                  जारी है....... #worldpostday
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अमित अनुपम

शीर्षक- प्यार के गीत मैं गाता रहूंगा।
प्रथम भाग

कब तक रहेगा नाता गमों से।
खुशियां अभी दूर हमसबों से।
कभी ना कभी तो दिन फिरेगा।
रोता हुआ भी कभी तो हंसेगा।

उम्मीदों के सहारे जीता रहूंगा।
मैं प्यार के गीत गाता रहूंगा।।

मुश्किलो का दौर हैं अभी तो।
अंधेरा जीवन से हटेगा कभी तो।
कभी तो दीवाली भी होगी हमारी।
रंगों से भरेगी ये जिन्दगी हमारी।

उम्र भर दीप मैं जलाता रहूंगा।
मैं प्यार के गीत गाता रहूंगा।।
-अमित अनुपम #worldpostday
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अमित अनुपम

तखल्लुस में अपने, मैने तेरा नाम कर दिया।
नाम बहुत है तेरा, लो तुझे बदनाम कर दिया।।

भड़ी बाजार में जब लग रही थी तेरी बोली।
बख्श दिया तुझे औऱ अपना दाम कर दिया।।

तुम्हारे मोहब्बत में क्या दिन और क्या रात।
शाम को सुबह और सुबह को शाम कर दिया।।

डर डर कर मोहब्बत करने में क्या मजा है।
महफ़िल में चूम तुझे, इश्क़ सरेआम कर दिया।।

तेरी लफ्जों की पाकीजगी को माथे पर रख।
जान लुटा दी अपनी और तेरा काम कर दिया।।

- अमित अनुपम ग़ज़ल

#lightindark
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अमित अनुपम

गिरिराज हिमालय ने  मुकुट संवारा।
सागर नित्य करता है चरण पंखारा।
शोनित सी मां गंगा की पावन धारा।
जय जय जय हो भारतवर्ष तुम्हारा।।

सिख, इसाई, हिन्दू या हो मुसलमान।
ये चारों हैं तेरे अपने प्यारे पुत्र समान।
सदा सलामत रहती इनकी भाईचारा।
जय जय जय हो भारतवर्ष तुम्हारा।।

तू वीर भूमि, वीरों ने बढ़ाया तेरा मान।
तू बुद्ध भूमि, किया विश्व का कल्याण।
देवों ने आ यहां अपना भाग्य निखारा।
जय जय जय हो भारतवर्ष तुम्हारा।।

दिया श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान यहीं।
सत्य-अहिंसा का भी अनुसंधान यहीं।
तेरी महिमा गाते सूर्य, चांद और तारा।
जय जय जय हो भारतवर्ष तुम्हारा।।

तूने ही तो मर्यादा पुरुषोत्तम राम जना।
तेरे धरा पर ही महावीर निष्काम बना।
विश्व विजेता सिकंदर आकर यही हारा।
जय जय जय हो भारतवर्ष तुम्हारा।।
                            अमित अनुपम #independenceday2020
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अमित अनुपम

बहर - 22 22 22 22 22 2
हम सब आजादी की कीमत क्या जाने।
आजादी पुरखों की नेमत क्या जाने।।

हमसब को तो मिल गए हैं खैरातों में।
कुरबानों की टूटी हसरत क्या जाने।।

कितनी मुश्किल होती होगी सरहद पर।
अनुशासन में सैनिक गफलत क्या जाने।।

हम हिंदुस्तानी प्यार सदा फैलाते।
पाकिस्तानी लालच नफरत क्या जाने।।

देश हमारा जां से ज्यादा प्यारा है।
चीनी करते ओछी हरकत क्या जाने।।

देश चलाना सत्ता का खेल नहीं है। 
नेता करते कुर्सी कसरत क्या जाने।।

अपना देश सदा अपना ही होता है।
जो द्रोही से होते सहमत क्या जाने।।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब भाई।
है ऊपर वाले की रहमत क्या जाने।।

गोरे काले का भेद नहीं है अब तो।
हम करते हैं सबकी खिदमत क्या जाने।।

पूर्णतः अप्रकाशित और मौलिक
                               अमित अनुपम
                              खगड़िया, बिहार #Deshbhakti
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अमित अनुपम

हर घड़ी बढ़ रही मजहबी तकरार है।
धर्म में इंसान विवश है या लाचार है।।

सच अब खाक छानता फिर रहा है।
झूठ को तवज्जो दे रही अख़बार है।।

अमीरों के शान में कसीदे पढ़ रही।
गरीबों की चुनी हुई अपनी सरकार है।।

सच लिखा जाए तो कैसे इस जहां में।
कलम को सदा काटती यहां तलवार है।।

तूफ़ान दबाए बैठा है हर कोई सीने में।
विध्वंस मचाने को जवानी बेकरार है।।

चक्रव्यूह सजाकर बैठें हैं कौरव यहां।
एक अभिमन्यु की यहां अब दरकार है।।

हर दिन महाभारत कौन झेलेगा यहां।
अर्जुन के गांडीव की जरूरी टंकार है।।

                           अमित "अनुपम" #InspireThroughWriting
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