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तू ही दुर्गा - है तू ही काली, माॅं चामुंडा - तू भ

तू ही दुर्गा - है तू ही काली, 
माॅं चामुंडा - तू भदृकाली |
जब-जब छाया अंधकार जगत में, 
अवतार लिये - तू ही सॅंभाली ||

क्या हुआ यहाॅं- इस जग़ को माॅं, 
मानव रुपी - है असूर यहाॅं |
अवतार लिये फिर आ जाओ, 
है लाखों महिषासूर यहाॅं ||

इस मूर्खता भरी जग में माॅं - देवी को कोई जीन्दा जलाता, 
गर्भ में मारे देवी को - फिर कन्या पूजन को घर बूलाता |
है किसी पास बेशूमार दौलत 
किसी का खाली हाॅंथ, 
नौ दिन ये पूजे देवी को-सौ दिन ये देवी को रुलाता ||

हे नारायणी  ! हे खड्गधारिणी  ! 
हो कर सिंह सवार फिर आओ |
फिर से चंड-मूंड, महिषासुर सा - संहार किये ले जाओ ||

तूने तो बनाया इंसान ही था - इनमें शैतान कहाॅं से आई, 
है जगत-जननी-है अग्नि तू - ब्रम्हाण्ड की तू ही माई |
है मिट्टी से बना-मिट्टी में पला
मिट्टी में फिर से मिलना है, 
चूटकी भर फिर मिट्टी के लिये- क्युॅं लड़े भाई से भाई ||

     अन्याय हो रही दुनियां में - हे नारायणि इंसाफ करो,
                         रखो हाॅंथ सदा मेरे सर पर तूम - मुझसे भूल हुई तो माफ करो 🙏||

~ Ritu Raj

©Ritu Raj Hai Mata Di
तू ही दुर्गा - है तू ही काली, 
माॅं चामुंडा - तू भदृकाली |
जब-जब छाया अंधकार जगत में, 
अवतार लिये - तू ही सॅंभाली ||

क्या हुआ यहाॅं- इस जग़ को माॅं, 
मानव रुपी - है असूर यहाॅं |
अवतार लिये फिर आ जाओ, 
है लाखों महिषासूर यहाॅं ||

इस मूर्खता भरी जग में माॅं - देवी को कोई जीन्दा जलाता, 
गर्भ में मारे देवी को - फिर कन्या पूजन को घर बूलाता |
है किसी पास बेशूमार दौलत 
किसी का खाली हाॅंथ, 
नौ दिन ये पूजे देवी को-सौ दिन ये देवी को रुलाता ||

हे नारायणी  ! हे खड्गधारिणी  ! 
हो कर सिंह सवार फिर आओ |
फिर से चंड-मूंड, महिषासुर सा - संहार किये ले जाओ ||

तूने तो बनाया इंसान ही था - इनमें शैतान कहाॅं से आई, 
है जगत-जननी-है अग्नि तू - ब्रम्हाण्ड की तू ही माई |
है मिट्टी से बना-मिट्टी में पला
मिट्टी में फिर से मिलना है, 
चूटकी भर फिर मिट्टी के लिये- क्युॅं लड़े भाई से भाई ||

     अन्याय हो रही दुनियां में - हे नारायणि इंसाफ करो,
                         रखो हाॅंथ सदा मेरे सर पर तूम - मुझसे भूल हुई तो माफ करो 🙏||

~ Ritu Raj

©Ritu Raj Hai Mata Di
rituraj8829

Ritu Raj

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