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*परेशान था बोहत एक कोणे मे चूप चाप से पडा था, खुद

*परेशान था बोहत एक कोणे मे चूप चाप से पडा था,
खुद के संपणे दबोज  ,जिम्मेदारिया सर पे लिये खडा था,
उमर कम थि बेशक उसकी ,पर अपनी उमर से कही साल बडा था,
मुस्कुराणा बेशक भूल गया था ,पार मुस्कुराते हूये सब हालातो से लढा था.
जनाब कुछ अलग बात नही थि उसमे, बस ओ घर का सबसे बडा था..

©ganesh shinde
  #motivate 
#जिम्मेदारियां