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Ramkishor Azad
अपनी जिंदगी में भी बहुत जिम्मेदारियां होती है कुछ पता तो कुछ अनजान होती हैं, ये बात सही है जिसका हमें पता है उसे समझते नहीं और जिसे जानते नहीं उसे ढूंढते हैं! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramkishor Azad #जिम्मेदारियां #जिंदगी #समझते #शायरी #rsazad #treanding #Love #viral #Life #अनजान Taj Uddin Mittal g....Aligarh rasmi Neetu Sethi Ji
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read moreAsh Jain
White आजमाने की फितरत आजमा रहे है जो नहीं खाना है वो भी खा रहे है जानते है प्यार के पेड़ लगे है बागान में बहुत मगर जिम्मेदारियों से दूर उन पेड़ो तक कहाँ पहुँच पा रहे है ©Ash Jain #Moon #viral #जिम्मेदारियां
मुसाफिर
White जिम्मेदारियों में हम अपने आप को खो देते हैं। जिम्मेदारियां हमें बचपना से बुढ़ापे तक ले जाती है। हमें यह बताती है की हम जवान नहीं बुढ़ापे के तरफ़ बढ़ रहें है। ©मुसाफिर #जिम्मेदारियां
Nishant
अंदाजे बयां हम भी करते अदब से लेकिन कमबख्त जिम्मेदारियों के बोझ ने जकड़ रखा है । 😞 ©Nishant Kumar #जिम्मेदारियां
Dil Shayar badnaam
कोई भी तुम्हारा जीवन संवारने नहीं आएगा। ये तो पूरी तरह से सिर्फ तुम्हारी जिम्मेदारी है। ©Dil ki baat #uskaintezaar #जीवन #टूटा_हुआ_दिल #सवारने #जिम्मेदारियां #तुम… #दिल_की_आवाज़ #दिल_की_कलम_से
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read morePoonam
जिंदगी की रफ्तार तेज क्या हुई.. नए दौर में सब शामिल हो गए.. किसी ने हमसे न पूछा.. हम क्यों पीछे रह गए.. अपने हिस्से की तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हुए.. थोड़े कंधे झुके.. थोड़ी कमर हमारी झुकी.. आंखों से सब कुछ अब धुंधला हुआ.. इस तरह कदमों का लड़खड़ाना भी लाज़मी हुआ.. आज, इस मोड़ पर हम भी एक सहारा चाहते हैं.. तुम्हारे कदमों से अपनी रफ्तार मिलना चाहते हैं.. ©Poonam #सहारा #जिम्मेदारियां #मोड़ #रफ्तार
#सहारा #जिम्मेदारियां #मोड़ #रफ्तार
read morepoonam atrey
जिम्मेदारियां बूढ़ा होने नही देती , और कमबख्त उम्र है कि ढली जा रही है, आज तो भरपेट मिलेंगें निवाले , बस झूठी उम्मीद मन मे पली जा रही है, कल की फ़िक्र में आँखे ,जागी हैं रात भर, अब नींद क्योंकर आँखों में ,चली आ रही है, आज मुफ़लिसी है ,कल का दिन शायद अच्छा हो, बेवज़ह की ख्वाहिशें मन को ,क्यों छली जा रही हैं, ढो रहे है वक़्त के काँधों पर ,इस निष्प्राण सी देह को, मग़र साँसे इस देह को ,खली जा रही हैं ।। ©poonam atrey #जिम्मेदारियां #ढलतीउम्र
ganesh shinde
*परेशान था बोहत एक कोणे मे चूप चाप से पडा था, खुद के संपणे दबोज ,जिम्मेदारिया सर पे लिये खडा था, उमर कम थि बेशक उसकी ,पर अपनी उमर से कही साल बडा था, मुस्कुराणा बेशक भूल गया था ,पार मुस्कुराते हूये सब हालातो से लढा था. जनाब कुछ अलग बात नही थि उसमे, बस ओ घर का सबसे बडा था.. ©ganesh shinde #motivate #जिम्मेदारियां
Raj Guru
उड़ा देतीं हैं नींद कुछ जिम्मेदारियाँ घर की, देर रात तक जागने वाला हर शख्स आशिक नहीं होता..! ©Raj ( Guru ) #जिम्मेदारियां