बहुत दूर हूँ अब, मैं अपने शहर से बिछड़ जो गया वो शहर ढूँढता हूँ वो गलियाँ, वो साथी, वो बचपन की यादें सुबह, शाम, दिन, दोपहर ढूँढता हूँ कहानी, वो किस्से, वो परियों की बातें सुना दे कोई, ऐसा दर ढूँढता हूँ बिताए थे जिसमें वो, बचपन के लम्हे जो बिखरा हुआ है, मैं वो घर ढूँढता हूँ #NojotoQuote #घर #बचपन #बचपन_की_यादें #मेरा_शहर