Find the Best बचपन Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutबचपन की ख्वाहिशे आज भी खत लिखती है मुझे हिदी सायर, attitude तो बचपन से है, दिल है बचपन का, प्यार है बचपन का, बचपन की मोहब्बत पर शायरी,
Shalini Nigam
सबका "बचपन" एक सा_ नहीं होता.! ©Shalini Nigam #बचपन #Nojoto #yqdidi #yqbaba #Love #Life #Poetry
–Muku2001
की ये वक्त भी न जाने कितना बदलाव ले आया वो सुकून सी बचपन वाली मुस्कुराहट में बहुत ही जल्द ठहराव ले आया की न जानें क्यों अब वो हर खुशी बचपन वाली मुस्कुराहट नहीं लाती क्योंकि अब हर किसी के चेहरे पर वो दिखावटी मुस्कान जो आती, की अब तलाशता हु मैं हर उन पलो को जो बीना स्वार्थसी वो हसी ले आए परेशानसी इस जिंदगी में वो सुकून भरी मुस्कान ले आए ! ©–Muku2001 #childhood_memories #Quote #Smile #Happy #muku2001 #Zindagi #Life #बचपन #Childhood #story quotes on life life quotes in hindi quotes
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read morelove you zindagi
ZIndagi sms quotes in hindi शौक़_ए_जिंदगी की कहानी नहीं रही बचपन बस गुजरा ही है कि जवानी ढल रही..! @Dear zindagi✍️ ©love you zindagi #जिंदगी #बचपन #लाइफ #जवानी
Ghumnam Gautam
White कल तुम से मिलकर मधुवन में ये जाना क्या है दरसन में चल हमपे गया इक जादू-सा हम लौट गए थे बचपन में ©Ghumnam Gautam #love_shayari #मधुवन #बचपन #जादू #ghumnamgautam
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read moreAmit Tiwari
Unsplash जवानी में कमाई के कई आयाम गढ़ डाले .... फलसफे न जाने कितने हर शाम पढ़ डाले ... शिद्दत से इंतजार है कि फिर से दिन वही आए.. हम सब्जी से बचायें चार पैसे और घर आए.. खनक उन चार पैसों की दोबारा मिल नहीं पाई.. खुद के लाखों रुपयों में वो खनक ही नहीं आई.. ©Amit Tiwari #Book #बचपन #बचपन_के_वो_दिन
अदनासा-
अदनासा-
Video Courtesy g Heartfelt Thanks To💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 https://www.instagram.com/reel/DAt6K87M01i/?igsh=eDBpNm9kcWtieWhs #innocent #Childhood #मासूम #मासूमियत #बचपन #लड़कपन #Funny #Instagram #Facebook #अदनासा video wcomedy" class="text-blue-400" target="_blank">wcomedy videos wcomedy" class="text-blue-400" target="_blank">wcomedy Extraterrestrial life wcomedy" class="text-blue-400" target="_blank">wcomedy wcomedy" class="text-blue-400" target="_blank">wcomedy videos
read moreAndy Mann
White मैं बचपन बोल रहा हूँ !मैं ख़ुद को खोज रहा हूँ मैं देखा गया था कभी, हर शख़्स में,बच्चों और बूढ़ों में,, पर अब नही मिलता किसी भी उम्र में- अब ख़ुद को पाना चाहता हूँ बचपना क्या होता है , दुनिया को बताना चाहता हूँ,, हाँ !मैं बचपन और बचपना ढूँढना चाहता हूँ याद है! वो ज़माना,जब tv नही आया था, और मोबाइल internet,लैप्टॉप कुछ भी नही था,, तब मैं हर जगह बिखरा पड़ा था- गिल्ली डंडे में,कँचे में,पतंग माँझे में, रस्सा कूद,खो खो ओर छुपम छुपाई में, धप्पा करने में,, और तो और साइकिल के पंचर टायर में भी,,, पर अब मुझे ढूँढना पढ़ता है,कभी प्ले ग्राउंड में,कभी किसी, ऐक्टिविटी क्लास में- मैं अपने पूर्ण रूप में -खिलखिलाते हुए फिर भी नही मिलता,, बड़े लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षा के बीच में दब गया हूँ,, ये काम धंधे निगल गये है मुझे मैं डूबता जा रहा हूँ बड़े लोगों की ख़्वाहिशों के सागर में,, बचा लो मुझे!मैं आप के बच्चों में , आप मे ,ज़िंदा रहना चाहता हूँ,, बचा लो मुझे!गले लगा लो मुझे.. ©Andy Mann #बचपन Rakesh Srivastava Sethi Ji अदनासा- Arshad Siddiqui Ashutosh Mishra
#बचपन Rakesh Srivastava Sethi Ji अदनासा- Arshad Siddiqui Ashutosh Mishra
read moreDil_ki.dastaan :- संग्राम मौर्य
White बच्चे थे तब अच्छे थे, सारे दिल के सच्चे थे। पापा के हम राजदुलारे, मम्मी के आँखों के तारे। चंदा मामा प्यारे थे लगते, सूरज से हम जल्दी जगते। खेले कूदे मैदानों में जाकर धूल मिट्टी से कूद फांदकर बचपन का सपना टूट गया जब बड़े हो गए अब छूट गया सब हर ग़म हर पल खुश हमको रहना, फिर से बच्चों जैसा जीवन जीना। ©Dil_ki.dastaan #बचपन #बालदिवस #kids #children
Rakesh Songara
बचपन की यादें किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,, वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन, बेवजह क्यूँ याद आ गए,,, वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,, टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,, माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,, वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,, वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,, मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,, अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं क्यों याद आ गए,,, किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,, सावन के झूलों में घण्टों लटकना,, वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,, फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे, वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,, था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम, अब तो हर सांस पे लगता है राशन,, चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,, किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,, राकेश सोनगरा, सरदारशहर ©Rakesh Songara #बचपन