तुझसे ही मेरी बंदगी तू ही है हकीकत मेरी, वक्त ने जो मुकर्रर ना की वो खुशी ए जीस्त मेरी, बेज़ार हो चुकी जिंदगी में तुमसे है निकहत मेरी, ना जी सकूंगा तुम्हारे बिना तेरी बाहों में जन्नत मेरी, कुछ रहा ना मुझमें मेरा तुम्हें दिल ने दी है हकूमत मेरी, बेनूर हुई निगाहों को बस आरज़ू-ए-राह फ़कत तेरी। सुप्रभात, आज का हमारा विषय बहुत ही ख़ूबसूरत तथा रोमांटिक है, आशा है आप लोगों को पसंद आएगा। यहीं नहीं बल्कि दो चयनित लेखकों को टेस्टीमोनियल समन्यतः दिया ही जाता है किन्तु इस प्रतियोगिता में मिलने वाला टेस्टीमोनियल भी प्रकृति के रंगों में रंगा होगा।💐💐 आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।